नवग्रह शांति : शुभ अशुभ कर्मों के अनुसार ग्रहों का भी मनुष्य के जीवन पर प्रभाव पड़ता है. अशुभ ग्रहों का प्रभाव दूर कर शुभ ग्रहों को अनुकूल बनाने के लिए ग्रहों के मंत्र, प्रार्थना तथा उनसे संबंधित णमोकार मंत्र एवं तीर्थंकर का जाप बताया गया है. जिस ग्रह का जाप किया जाये, उसी ग्रह के अनुकूल रंग के वस्त्र, माला, तिलक तथा रत्न धारण करने से शीघ्र लाभ मिलता है. जाप प्रारम्भ करने से पूर्व निम्न मंत्र- गाथा सात बार अवश्य पढ़ें.
ऊं भवणवइ वाणवंतर, जोइसवासी विमाणवासी अ |
जे के वि दुट्ठ देवा, ते सव्वे उवसमंतु मम स्वाहा ||
अर्थ:- जो भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिषी एवं वैमानिकी देव मुझ पर अप्रसन्न या प्रतिकूल हैं, वे शान्त हों, मेरे अनुकूल हों.
मूर्ति का स्वरूप: नवग्रह शांति के लिए सबसे आवश्यक है उस ग्रह की प्रतिमा का होना। भविष्यपुराण के अनुसार ग्रहों के स्वरूप के अनुसार प्रतिमा बनवाकर उनकी पूजा करनी चाहिए। -
सूर्य महाग्रह मंत्र(Surya Graha Mantras)
सोम महाग्रह मंत्र(Som Graha Mantras)
मंगल महाग्रह मंत्र(Mangal Graha Mantras)
बुध महाग्रह मंत्र(Buddha Graha Mantras)
गुरु महाग्रह मंत्र(Guru Graha Mantras)
शुक्र महाग्रह मंत्र(Shukra Graha Mantras)
शनि महाग्रह मंत्र(Shani Graha Mantras)
राहु महाग्रह मंत्र(Rahu Graha Mantras)
केतु महाग्रह मंत्र(Ketu Graha Mantras)
नोट- रवि, मंगल ग्रह की जाप्य लाल रंग, बुध ग्रह की हरे रंग से, गुरु ग्रह की जाप्य पीली रंग, चंद्र, शुक्र ग्रह की जाप्य श्वेत रंग, शनि, राहु, केतु की जाप्य काले या नीले रंग की माला से करनी चाहिए